मैं हर साल उन्हें राखी बांधती थी,
लेकिन वो मेरे बारे में जाने क्या सोचकर बैठे थे. उनका हंसी-मजाक कब
छेड़छाड़ में बदल गया मुझे पता ही नहीं चला.''
''जब भी हम दोनों अकेले होते तो वो फ़ायदा उठाने का एक भी मौका नहीं छोड़ते थे. मैं सब समझती थी, लेकिन किसी से कह नहीं पाती थी.''
यूपी की रहने वाली कोमल (बदला हुआ नाम) के साथ 14 साल की उम्र में हुई इस घटना को वो कर्इ सालों बाद भी अपने घर में बता नहीं पाईं.
लेकिन, पीड़ित का शिकायत नहीं कर पाना ही कई बार सवालों के दायरे में आ जाता है.
जब
भी महिलाएं एक लंबे समय बाद बचपन में हुए यौन शोषण की शिकायत करती हैं तो
पहला सवाल उठता है कि उसी वक़्त या इतने सालों में क्यों नहीं कहा.
ऐसा ही सवाल अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने पूछा था जिसके बाद सोशल मीडिया पर इसके ख़िलाफ़ एक अभियान चला.
ट्रंप
ने उनके द्वारा चुने गए सुप्रीम कोर्ट के जज ब्रेट कैवेनॉ पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों पर कहा था कि पीड़ित को उसी समय शिकायत करनी चाहिए थी.
इसका जवाब देने के लिए सोशल मीडिया पर #
मनोवैज्ञानिक डॉक्टर प्रवीण त्रिपाठी भी बताते हैं, ''कम उम्र में यौन शोषण की सबसे बड़ी समस्या ही यही होती है कि बच्चों को कुछ ग़लत होने का
पता ही नहीं चलता. अगर बच्चों को ये साफ़ हो जाए कि कुछ ग़लत हो रहा है तो
वो ज़्यादा आसानी से अपनी बात कह पाएंगी. न ही हमारे समाज में सेक्स
एजुकेशन जैसी कोई पढ़ाई होती है.''
''साथ ही पीड़ित को ये डर भी लगता है कि घरवाले क्या कहेंगे क्योंकि जो अपराधी होता है उस पर परिवार भरोसा
करता है. पीड़ित को ये उलझन रहती है कि मुझ पर भरोसा करेंगे या नहीं. कई
बार तो शिकायत करने पर मम्मी-पापा को जान से मारने की धमकियां भी दी जाती
हैं.''
कोमल बताती हैं, ''ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा. कभी किसी मेरे कमरे में तो कभी दूसरे किसी कमरे में, वो बस मौका ही ढूंढते. मैं पढ़ने
बैठी होती तो हाथ खींचकर अपने पास बुला लेते. अब तो उनकी आहट से ही मुझे डर
लगने लगा था.''कब मुझे कहां छू लेंगे ये सोचकर ख़ुद को बचाती रहती थी. आज भी उन दिनों
को याद करती हूं तो एक घुटन-सी महसूस होती है. मेरा एक क़रीबी रिश्ते से
भरोसा ही नहीं टूटा था बल्कि डर भी घर कर गया था.''
''ये सब क़रीब
साल भर चलता रहा. एक बार बहुत चिड़ जाने पर मैं झटके से खुद को छुड़ाकर
रोते हुए घर से बाहर आ गई. उस दिन तो जैसे वो डर ही गए थे. फटाफट घर से
निकल गए और उसके बाद अपनी हरकतें कुछ कम कर दीं. कुछ समय बाद उनकी नौकरी
बदल गई तो उन्हें कहीं और जाना पड़ा.''
नाम से एक
अभियान चला जिसमें लोगों ने अपने साथ हुई घटना का ज़िक्र करते हुए बताया
कि उन्होंने उस वक्त क्यों नहीं बताया था.
कोमल के साथ भी ऐसी ही स्थितियांआईं जब बुआ के लड़के ने ही उनका यौन शोषण करना शुरू किया.
कोमल बताती हैं, ''मेरी बुआ का लड़का हमारे ही ऊपर वाले कमरे में रहता
था. हम उनसे घुले-मिले थे और घरवालों को भी उन पर पूरा भरोसा था.''
"शुरुआत में तो सब ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे वो मेरे साथ अकेले होने के मौके ढूंढने लगे.
सर्दियों
में मेरी मम्मी और पड़ोस की आंटी खाना खाने के बाद छत पर धूप सेकने जाते थे. मुझे पढ़ना होता था इसलिए मैं कमरे में ही रहती थी.
दिन में हम
टीवी देखते थे तो मम्मी के जाने के बाद वो मैच देखना शुरू कर देते थे. वो
ज़बरदस्ती कमरे में रुकने की कोशिश करते और मुझे अपने पास खींचने लगते. किस
करने की कोशिश करते.
मेरा कोई और भाई ऐसा नहीं करता था इसलिए मुझे
अजीब लगता कि वो ऐसा क्यों करते हैं. मैं तो छोटी बच्ची भी नहीं हूं.
फ़िल्मों में भी देखा था कि इस तरह की चीजें तो सिर्फ हीरो-हीरोइन के बीच
ही होती हैं.
पर फिर भी मैं कुछ नहीं कह पाती. सिर्फ़ मना करती या
बचने के लिए किसी काम में उलझी रहती. कभी-कभी तो सोचती कि काश घर में कोई
और आ जाए. "
वो कहते रहते, ''मेरे पास बैठ, अरे थोड़ी देर तो बैठ.''
मुझे समझ नहीं आता था कि उन्हें क्या कहूं. मुझे वो सब बहुत बुरा लगता था, लेकिन उस बुरे को ज़ाहिर नहीं कर पा रही थी.
कैसे
कहूं, किन शब्दों में बताऊं समझ ही नहीं आता था. एक डर ये था कि घरवाले
क्या सोचेंगे. ये बात तो गांव भी पहुंच जाएगी फिर क्या होगा. बुआ-फूफा से
तो झगड़ा ही हो जाएगा.
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